रांची। गुरुवार को झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि यूनिसेफ ने महिला सशक्तीकरण पर बल दिया जो वास्तव में समानता और निष्पक्षता से आता है। बाल्यावस्था से लेकर वयस्कावस्ता तक की यात्रा काल में महिला सशक्तीकरण का महत्वपूर्ण स्थान है और यदि यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाता है तो पूरे सामाजिक तंत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन होगा। उन्होंने निर्णय लेने की क्षमता, महिलाओं के कौशल विकास की सराहना की और सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह, दहेज प्रथा और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में जागरूक किया ।
इसी क्रम आगे बढ़ाते हुए पूनम आनंद, महिला कार्यकर्ता ने समारोह में उपस्थित पुरुष प्रतिभागियों की सराहना की। उन्होंने उद्यमिता में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित किया जो उनको स्वतः ही सशक्त बना देगी। उन्होंने समय प्रबंधन, जिम्मेदारी और उत्साह से कार्य को निष्पादित करने पर झोर दिया । जो उनको प्रगतिशीलता से काम करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने “शिक्षा, स्वावलंबन, स्वास्थ्य, संस्कार” पर बल दिया। अधिवक्ता रूना मिश्रा ने ग्रामीण और शहरी महिलाओं से सम्बंधित जानकारी दी। उन्होंने महिला योन उत्पीड़न जैसे समस्यों के बारे में भी प्रकाश डाला। यदि आज भारत की जीडीपी दर तेजी से गिर रही हो तो कारण पुरुषों का मानसकि रूप से पिछड़ा होना और महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त नहीं होना है, क्योंकि एक सशक्त महिला ही सशक्त परिवार और समाज का निर्माण कर सकती है। उनका विचार है कि “Ignorance of law is not accepted” इसलिए महिलाओं को कानून और अपनी सुरक्षा के प्रति सजग रहना होगा। उन्होंने नौकरी-पेशा महिलाओं को भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया।
मनोविशेषज्ञ डॉ भूमिका सच्चार ने महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित किया और मानसिक रोगों से पीड़ित महिलाओं को उचित परामर्श लेने की सलाह दी । डॉ प्राची, चिकित्सक और डॉ सीमा ममता मिंज, सहायक प्राध्यापक ने भी महिला सशक्तिकरण से संबंधित विविध विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय प्रो. नंदकुमार यादव “इन्दु”, कुलसचिव प्रो. एस. एल. हरिकुमार, प्रो. मनोज कुमार, शैक्षणिक डीन, विभागाध्यक्ष, प्रशासनिक अधिकारी, जन संपर्क अधिकारी व अन्य संकाय सदस्यों की उपस्थिति में दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में भिन्न – भिन्न विषयों पर व्याख्यान देने के लिए विशिष्ठ अतिथियों को आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर अथिति वक्ता सुश्री प्रीति श्रीवास्तव, डॉ कविता परमार, सामाजिक कार्यकर्ता ने स्वपरिवर्तन, संस्कार और संस्कृति पर बल दिया। उन्होंने भ्रूण हत्या को रोकने में जननी को अपने अधिकारों और सामर्थ्य को पहचानने की आवश्यकता जताई। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को सफलतापूर्वक आयोजित करने में डॉ पूरबी साक़िया, डॉ प्रज्ञान पुष्पांजली, डॉ प्रतिभा वरवड़े, डॉ जाया शाही, डॉ टी निशोनिंग कोयरेंग, डॉ कालसँग वांग्मो, डॉ अर्पणा राज, रश्मि वर्मा (सहायक प्राध्यापिका) और सुधा जी, हिंदी अधिकारी व अन्य सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।