भारतीय उद्योग जगत के पितामह जमशेदजी टाटा

जमशेद जी टाटा
जमशेद जी टाटा

जयंती विशेष

आज 3 मार्च को जब देश ” मेक इन इंडिया ” और न्यू स्टार्टअप आदि के सोच के तहत अपने आप को विश्व के बाज़ार में स्थापित करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहा है वहीं देश उस महामानव की जयंती मना रहा है जिसने आज से लगभग 120 वर्ष पूर्व यह विचार किया था कि यदि अपने देश को विश्व पटल पर मजबूती से खड़ा करना है तो इस्पात बनाओ। आज जमशेदजी नौसेर वानजी टाटा की जयंती है। इस दिन न केवल जमशेदपुर, इनके जन्मस्थान गुजरात या मुंबई में नहीं अपितु पूरे देश में याद किए जा रहे हैं।

गुजरात के पारसी परिवार में जन्मे जमशेदजी ने अपने पिताजी के स्थापित कपड़े मिल के व्यवसाय साथ इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में हाथ आजमाने का फैसला किया। कहते हैं उनके इस फैसले में स्वामी विवेकानंद जी के साथ मुलाकात भी बहुत महत्वपूर्ण रही जिसमें विवेकानंद जी ने भी उनके इस फैसले पर मजबूती से खड़े रहने का आग्रह किया था। 1907 में कालिमाटी नामक स्थान पर उन्होंने टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की स्थापना की जो हावड़ा एवं मुंबई मुख्य रेलमार्ग से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर था। स्थान चयन में श्री पी एन बोस जो उस समय के बड़े धातु वैज्ञानिक थे उनकी और उनके साथियों भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी।

जमशेदजी टाटा ने व्यवसाय करते हुए सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कैसे किया जाता है इसको भी उन्होंने बताया। हॉस्पिटल, स्कूल, सड़कें, पार्क, ब्लड बैंक, कैंसर हॉस्पिटल जैसी कर विश्व स्तरीय संस्थाओं को खड़ा किया जो अनवरत चल रहा है। देश में कई ऐसी व्यावसायिक संस्थान है जिनके शेयर का बड़ा भाग किसी व्यक्ति विशेष के पास है या का सकते है वह व्यक्ति उस व्यवसायिक संस्थान के मालिक है किन्तु जमशेदजी टाटा ने अपने संस्थान में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बनाया, लोगों को शेयर धारक बनाया, टाटा ट्रस्ट की स्थापना की। इस प्रकार के बड़े विचारों के कारण टाटा ब्रांड दिन दुना और रात चौगुना बढ़ रही है वह चाहे स्टील आई टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोटिव, डिफेंस, एयरोस्पेस, फाइनेंशियल सर्विस, टेलीकॉम, कस्टमर्स रिटेल , टूरिज्म इत्यादि। राष्ट्र निर्माण के उनके इस प्रयास के शत शत नमन।

(लेखक क्रीड़ा भारती, झारखंड के प्रदेश मंत्री हैं। आप सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हैं एवं आपका निवास जमशेदपुर है।)