दुमका। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय (एसकेएमयू) में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रति कुलपति हनुमान प्रसाद शर्मा ने कहा महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है तथा खेलकूद से लेकर एविएशन और अंतरिक्ष तक महिलाएं अपना लोहा मनवा चुकी हैं। प्रोफेसर शर्मा के अनुसार महिलाएं आज चाहे तो किसी भी ऊंचाई को छू सकती हैं। वे घर की देखभाल तो करती ही है साथ अपने देश का भविष्य भी बनाती हैं। उन्होंने महिलाओं को विश्व का बेस्ट मैनेजर कहा एवं यह माना कि महिलाएं अगर चाहे तो अपनी मुट्ठी में पूरी दुनिया भर सकती हैं। प्रोफेसर शर्मा ने अपने देश द्वारा लाए गए महिला उत्थान संबंधी कई योजनाओं जैसे उज्जवला योजना, बेटी पढ़ाओ – बेटी बचाओ योजना, इत्यादि का भी जिक्र किया तथा उन्होंने यह आशा जाहिर की कि वह दिन दूर नहीं जब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे होंगी।
वहीं दुमका बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपेश्वर झा ने अपने व्याख्यान में महिलाओं के संपत्ति के अधिकार पर चर्चा की। उन्होंने बताया की महिलाएं, खासकर संथाल महिलाएं, किस प्रकार संपत्ति के अधिकार से बिल्कुल वंचित रह गई हैं। श्री झा ने कहा कि हिंदुओं के लिए 1937 के कानून से लेकर 2005 के हिंदू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम के लंबे सफर के बाद परिवार की बेटियों को पैतृक संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार प्राप्त हो चुका है। परंतु संथाल समाज में स्थिति गंभीर बनी हुई है। संथाल महिलाओं को उनके पारंपरिक कानूनों के तहत किसी भी प्रकार का संपत्ति में अधिकार नहीं है। उन्होंने गेन्ज़र रिपोर्ट के पारा 46 का उद्धरण देते हुए बताया की संथाल समाज ने इस दिशा में महिलाओं की किस प्रकार अनदेखी की है।उन्होंने इसका कारण एक बहुत ही महत्वपूर्ण पक्ष में देखा। उनके अनुसार स्थिति तब तक नहीं बदल सकती जब तक संथालों के पारंपरिक कानून को संहितबद्ध नहीं किया जाता। संतालों के लिए उनके पारंपरिक कानूनों की कई व्याख्याएं मौजूद है और यह मौजूदा स्थिति की अस्पष्टता ही महिलाओं के लिए बड़ी बाधा उत्पन्न करता है। श्री झा ने मंच से आह्वान किया की महिलाओं को आगे आकर एक और आंदोलन करना चाहिए ताकि उनके कानून संहिताबद्ध हो और स्त्री पुरुष समानता पर आधारित हो।
जानी मानी साहित्यकारा एवं कवयित्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता निर्मला पुतुल ने कहा कि महिलाएं दुनियादारी घर बाहर सबकी जिम्मेदारियां निभाते हुए जीती है परंतु अपने घर में ही उन्हें इज्जत नहीं मिल पाती। वे अपने घर में ही सुरक्षित नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के लिए जो लड़ाई है वह चुनौतीपूर्ण है और बेहद कठिन है। कोर्ट में महिलाएं संबंधी कई केस पेंडिंग पड़े हैं परंतु उसकी सुनवाई का रास्ता नहीं है। श्रीमती पुतुल ने यह भी आह्वान किया की स्त्रियों के अधिकार की लड़ाई में पुरुषों का शामिल होना जरूरी है। उनका जागरूक होना भी जरूरी है क्योंकि यह समाज के बेहतरी की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि हमें हर वर्ष प्रतिज्ञा लेने की जरूरत है की मौजूदा स्थिति बेहतरी की ओर बदले। श्रीमती पुतुल ने अपनी एक मर्मस्पर्शी कविता भी श्रोताओं के सामने रखी।
महिला दिवस की पूर्व संध्या पर सिदो कान्हु मुर्मू यूनिवर्सिटी में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रति कुलपति प्रोफेसर हनुमान प्रसाद शर्मा ने की। मुख्य वक्ता के रूप में दुमका बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपेश्वर झा एवं बहुचर्चित संताली लेखिका एवं कवयित्री निर्मला पुतुल मौजूद थे। साथ ही मंच पर छात्र अधिष्ठाता कल्याण डा. गौरव गांगुली भी मौजूद थे।