पुणे : अंतरराष्ट्रीय कुलपति सम्मेलन में बोले SKMU कुलपति मनोरंजन प्रसाद, गुणवत्ता की कोई एक परिभाषा नहीं

सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति मनोरंजन प्रसाद(फाइल फोटो)
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति मनोरंजन प्रसाद(फाइल फोटो)

पुणे। सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय (SKMU) के कुलपति प्रोफ़ेसर मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने आज  “राष्ट्रीय सीमाओं से परे उच्च शिक्षा में विविधता एवं समावेश” विषय पर हो रहे त्रीदिवसीय चौथे अंतरराष्ट्रीय कुलपति सम्मेलन ,सिमबायोसिस यूनिवर्सिटी , पुणे में व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने प्रस्तुतीकरण में प्रोफेसर सिन्हा ने गुणवत्ता के विषय में बारीक चर्चाएं की। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में आवश्यक तत्वों पर चर्चा की। प्रोफेसर सिन्हा ने  बताया की गुणवत्ता की कोई एक परिभाषा नहीं। यह अपने संदर्भ पर आधारित होती है। अतः किन्ही दो संस्थानों के लिए गुणवत्ता के पैमाने एक से नहीं हो सकते। उन्होंने सुझाव दिया कि गुणवत्ता के मापदंड विश्वविद्यालय को स्वयं तय करने चाहिए। इसे बाहर से आरोपित करना त्रुटिपूर्ण हो सकता है तथा विश्वविद्यालय की बेहतरी में बाधा पहुंचा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि गुणवत्ता में मूर्त एवं अमूर्त तत्व होते हैं तथा एक संस्थान को इन्हें चिन्हित करना एवं समझना आवश्यक है।

कुलपति ने यह सुझाव दिया कि उच्च शिक्षा के लिए साझेदारी एवं मेंटरिंग दोनों जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय में गुणवत्ता प्रबंधन एवं बेंचमारकिंग विभाग बनाए जाएं तथा उसी के अंतर्गत आइक्यूएसी यानी इंटरनल क्वालिटी अशोरेंस कमिटी को लाया जाए। इसके अलावा विश्वविद्यालय के भविष्य की योजना अतीत के अनुभवों एवं एकत्रित किए गए पुराने आंकड़ों के आधार पर होनी चाहिए।

प्रोफेसर सिन्हा ने आगे कहा कि किसी भी संस्थान के बेहतरी के लिए संस्थान के विभिन्न विभागों के कर्मियों में आपसी साझेदारी बेहद आवश्यक है। विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में भी यह जरूरी तत्व है। इसके अलावा विश्वविद्यालय को शिक्षकों पर विश्वास करने तथा उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है।

उच्च शिक्षा में शोध के गिरते हुए स्तर पर भी कुलपति ने प्रकाश डाला। उनके अनुसार पिछले दो दशकों में शोध संबंधी निर्देशों की संख्या इतनी लंबी हो गयी है कि उससे एक पीएचडी की थीसिस तैयार की जा सकती है। परंतु विश्वविद्यालयों में शोध की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है। अब यह जरूरी हो गया है की उच्च शिक्षा संबंधी नियमों एवं योजनाओं में आवश्यक बदलाव किए जाएं ताकि भारतीय उच्च शिक्षा की तस्वीर बदले।

बता दें कि  यह सम्मेलन पाँच से सात मार्च तक चलेगा ।  इस सम्मेलन में यूरोपीयन यूनियन, स्वीडन,जापान सहित कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं ।