दिल्ली|दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी पर एक दिवसीय सद्भावना उपवास रखा , जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में सहभागिता कर डूसू के माध्यम से अपील की कि देश में हिंसक प्रदर्शनों पर रोक लगे तथा लोगों के बीच जो कुछ लोग वैमनस्यता पैदा करने का काम कर रहे हैं , वह रुके तथा आपसी सद्भाव व शांति कायम हो ।
छात्रों ने सद्भावना उपवास में गांधी जी को याद किया तथा ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ जैसे भजन के द्वारा शांति तथा एकता का संदेश दिया , इस कार्यक्रम में दिल्ली पुलिस के शहीद जवान रतनलाल तथा आईबी अधिकारी अंकित शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई तथा दंगों में जान गंवाने वाले आम नागरिकों की आत्मा की शांति के लिए छात्रों ने उपवास के अंत में दो मिनट का मौन रखा ।
डूसू अध्यक्ष अक्षित दहिया तथा डूसू उपाध्यक्ष प्रदीप तंवर ने कहा कि , ” नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर देश को हिंसा की आग में झोंकना गलत है , देश के भोले भाले लोगों को सत्ता पाने की चाह में कुछ राजनेताओं व अराजक तत्वों ने भ्रमित कर दिया है, इस भ्रम को दूर करना बहुत जरूरी है । हमारे देश में असहमति का अधिकार है और लोकतंत्र के भीतर ही विभिन्न समस्याओं का समाधान संभव है । दिल्ली में जिस प्रकार से हिंसा हुई , वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और हिंसा की वजह से जो मुश्किल हालात पैदा हुए हैं , उनको दूर करने के लिए समाज के हर वर्ग के प्रतिनिधियों को आगे आना होगा तथा लोकतांत्रिक तरीके से समस्याओं के समाधान पर बात करनी होगी । ”
डूसू सह-सचिव शिवांगी खरवाल ने कहा कि , ” हिंसा से किसी भी चीज का समाधान संभव नहीं है , हम उस देश के युवा हैं जिस देश को आधुनिक रूप देने में गांधी आंबेडकर जैसे वैश्विक महापुरुषों का महान योगदान रहा है । हिंसा की आग की वजह से बहुत सारे शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य गतिविधियां प्रभावित हुई है , चीजों को सामान्य पटरी पर लाने की आवश्यकता है और यह काम तेजी से होना चाहिए । आज हमको यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश का युवा सकारात्मक क्षेत्र में उर्जा लगाए जिससे हम बेहतर तरक्की का रास्ता पा सकें , परिसरों में आज भी ऐसी विभाजनकारी शक्तियां हैं , जो युवाओं को गलत दिशा दिखाना चाहती हैं ।ऐसे लोगों को हमें चिन्हित करके उन्हें रोकना होगा , विभाजनकारी मानसिकता कभी किसी का हित नहीं कर सकती । “