नहीं रहे राजनीति के अटल पुरोधा

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री व सिद्धांतवादी राजनीति के अटल पुरोधा, अटल बिहारी बाजपेयी ने 93 वर्ष की उम्र में गुरूवार सायं 5:30 बजे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आखिरी सांस ली। अटल जी के स्वस्थ होने की कामना पूरा देश कर रहा था। अटल जी मौत की खबर सुनते ही हर आंख में आंसू और हर जुबां पर खामोशी के घने बादल छा गये। अटल जी राजनेता के साथ-साथ एक बहुत बड़े कवि थे, जिनकी हर कविता देश की अंतरआत्मा की आवाज होती थी। पक्ष तो पक्ष, विपक्ष भी उनके भाषण के कायल थे, सुबह से ही लोग सोशल मीडिया पर अटल जी से जुड़े वीडियो और उनके अनमोल कविताओं को पोस्ट कर रहे हैं।

राजनीति के अजेय योद्धा के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। वे लगभग दो महीने से एम्स में भर्ती थे लेकिन पिछले 36 घंटे से उनकी सेहत बिगड़ती चली गई और अंततः अटल को भी अटल सत्य यानी मौत को स्वीकार करना पड़ा।

मोदी ने कहा, निःशब्द हूं

अटल जी के निधन पर श्रद्धांजलि में मोदी ने सात ट्वीट किए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। यह मेरे लिए निजी क्षति है। अटल जी ने अपने जीवन का प्रत्येक पल राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है। लेकिन वो हमें कहकर गए हैं- मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’’