वामपंथ के लिये भस्मासुर है – महिषासुर (आलेख 4)

सुना है बडे पढे लिक्खे होते हैं वामपंथी। वे प्रगतिशीलता की ढाल के साथ देवी दुर्गा को वेश्या कहते हैं और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ध्वज फडर-फडर करता रहता है। हमने कब उनसे सवाल किया कि जहर के पीछे का साँप कौन है? फॉरवर्ड प्रेस पत्रिका तथा इसी प्रेस से प्रकाशित महिषासुर पर केंद्रित…

Read More

वामपंथ के लिये भस्मासुर है – महिषासुर (आलेख 3)

आलेख  – 3  – देवी दुर्गा को वेश्या कहने के दुस्साहसी वामपंथी  महिषासुर अभियान में जो दस्तावेजीकरण फॉर्वर्ड प्रेस के प्रमोद रंजन द्वारा पत्रिका और पुस्तकों के रूप में किया गया है इसमें ईसाई लेखकों की भरमार क्या धर्मांतरण अभियान के साजिशों की कडी का हिस्सा है?  फॉरवर्ड प्रेस पत्रिका के इसाई सम्पादकों –  डॉ….

Read More

वामपंथ के लिये भस्मासुर है – महिषासुर (आलेख दो)

आलेख  – 2  – फॉर्वर्ड लिख कर ही कोई प्रेस फॉर्वर्ड नहीं हो जाता!! किसी भी कथ्य को समझने से पहले उसे पढ़ना और गहराई से समझने के लिये बार बार पढना आवश्यक है। निश्चित ही बिटवीन द लाईंस पढा जाना चाहिये और अनेक अर्थ निकालने चाहिये क्योंकि जिन दिनों की रचनाओं पर आज बात…

Read More

वामपंथ के लिये भस्मासुर है –  महिषासुर

  आलेख  – 1  – हिंदू धर्म की नाभी और वामपंथ के वाण?  पंचतंत्र की रंगा सियार कहानी को लाल श्रेणी के तर्कशास्त्रियों के दृष्टिकोण से देखें तो कई ज्वलंत सवाल खुजा-खुजा कर पैदा किये जा सकते हैं।  उदाहरण के लिये पंचतंत्र की कहानी विष्णु शर्मा द्वारा कही गयी अत: यह ब्राम्हणवाद का सजीव उदाहरण…

Read More