Exclusive interview  :  केवल कुशलता से काम नहीं चलेगा, प्रभावी होना भी जरूरी –  मनोरंजन प्रसाद, कुलपति SKMU

सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति मनोरंजन प्रसाद(फाइल फोटो)
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति मनोरंजन प्रसाद

जब भी कभी सिदो – कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका का नाम लिया जायेगा तो वर्तमान कुलपति प्रो. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा बरबस याद किये जायेंगे। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए विश्वविद्यालय को सफलता के सोपान की ओर अग्रसर किया। सत्र नियमित करना हो, अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह संताल हुल की महत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना हो, राष्ट्रीय स्तर के विज्ञान प्रयोगशाला बनाना हो, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उपकरण उपलब्ध कराना हो, शिक्षकों और कर्मचारियों के बीच समन्वय स्थापित कर बेहतर माहौल तैयार करना या फिर विश्वविद्यालय के छात्रों के रचनात्मकता को पंख देना हो, हर स्तर पर इन्होंने बेहतरीन काम किया। प्रो सिन्हा के कार्यकाल को इसलिए भी ऐतिहासिक माना जाएगा क्योंकि उन्होंने वि. वि. को अपना दो प्रशासनिक भवन और एक अकडेमिक भवन दिया।इससे पूर्व पीजी विभागों के क्लास टीचर क्वॉर्टर में चल रहे थे। प्रो सिन्हा ने ना सिर्फ़ सभी विभागों को अकादमिक ब्लाक में शिफ़्ट किया बल्कि विभागों को वातानुकूलित क्लास रूम भी दिए जो स्मार्ट बोर्ड और इलेक्ट्रॉनिक पोडीयम से सुसज्जित हैं। प्रो सिन्हा के कार्यकाल में वि.वि. में पहली बार युवा महोत्सव के आयोजन की शुरुआत की गई। चान्सलर लेक्चर के तहत देश और दुनिया के कई जाने माने हस्तियों का व्याख्यान वि.वि. में करवाया गया। सबसे बड़ी बात इनके कार्यकाल में वि.वि में एक भी बड़ा आंदोलन व हड़ताल नहीं हुआ। आज सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय की गतिविधि, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कैंपस प्लेसमेंट, लॉकडाउन में पढ़ाई इत्यादि मुद्दे को लेकर देवघर समाचार के अजीत कुमार सिंह और रमेश सिंह ने कुलपति प्रो. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा से बात की और उन्होंने बेबाकी से प्रत्येक सवालों का जवाब दिया। प्रस्तुत है प्रमुख सवाल के महत्वपूर्ण अंश –

 

अपने पूरे कार्यकाल को आप किस प्रकार से देखते हैं?

अपने तीन साल के कार्यकाल को हमने केवल और केवल विश्वविद्यालय की भलाई पर लगाया और इसके हित में काम किया। व्यक्तिगत किसी के लिए कुछ नहीं किया लेकिन विश्वविद्यालय के हित में अनेक काम किए जिसका अनुमान आप सहज रूप से लगा सकते हैं। जब हमने पदभार ग्रहण किया था तो विश्वविद्यालय का सत्र लगभग तीन साल पीछे चल रहा था। मुझे संतुष्टि है कि अपने प्रथम वर्ष के कार्यकाल में सत्र को नियमित कर पाया। सालों भर विश्वविद्यालय में नामांकन और फार्म भराने का क्रम चलता रहता था, आज आलम यह है कि एसकेएमयू में नामांकन से लेकर फार्म भरवाने का काम ऑनलाइन होता है। हमने शुरू से ही विश्वविद्यालय को डिजिटल पर जोर दिया, उसी का परिणाम है कि कोरोना संकटकाल को विश्वविद्यालय ने अवसर के रूप में लेकर ऑनलाइन कक्षायें करवाई गई। आज हमारे विश्वविद्यालय का कैंपस डेवलपमेंट सभी के लिए अनुकरणीय हो गया है।

सीमित संसाधन और शिक्षकों की कमी के बावजूद आप छात्रों की आवश्कता को कैसे पूरा कर पायेंगे ?

शिक्षकों की थोड़ी कमी है लेकिन सभी विभागों पर हमने कन्ट्रेक्चूअल शिक्षक की बहाली की परिणामस्वरूप आज सभी महाविद्यालय में विभागवास शिक्षक मौजूद हैं और मैं आपको एक बात बोलूं जो पढ़ने वाले छात्र हैं उन्होंने कभी शिकायत नहीं की होगी क्योंकि बहाल हुए कन्ट्रेचुअल शिक्षक क्वालिफाइड हैं वे अच्छे से पढ़ाते हैं।

कोरोना के चलते में बाधित हुई पढ़ाई की भरपाई कैसे होगी ?

केन्द्र सरकार, यूजीसी, राज्य सरकार सबों ने मिलकर ऑनलाइन की योजना बनाई और इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए हमारे राज्य सरकार ने काफी प्रयास किया। महामहिम राज्यपाल महोदया ने वीडियों क्रान्फ्रेसिक के जरिये बातचीत की और इसको सुचारू रूप से चलाने के लिए सारे कुलपतियों के साथ उन्होंने विचार विमर्श किया। केन्द्र तो पूरे देश के लिए योजना बना रही है लेकिन हमारे राज्य में कितना लागू हो, हमलोगों ने हमारे राज्य के हिसाब से ऑनलाइन की व्यवस्था की। आपको जानकर खुशी होगी कि सिद्धो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के 150 शिक्षकों ने मॉड्यूल क्लाउड का ऑनलाइन ट्रेनिंग लिये। मॉड्यूल क्लाउड के जरिये पढ़ाने की व्यवस्था की। एक बार क्लाउड से जुड़ जाये तो मोबाईल या लैपटॉप से तो वो क्लासरूम की तरह हो जाती है। हमलोगों ने वाट्सएप, जिसे आजकल सभी छात्र उपयोग करते हैं। वाट्सअप के माध्यम से रीडिंग मैटेरियल प्रदान किया जाय। गूगल क्लासरूम से क्लास लिया जाय। या देश के विभिन्न भागों में जूम एप्प चल रहा है उससे भी क्लास लिया जाय। आपको बताते हुए हर्ष हो रहा है  कि ये सारे क्लासेस यहां पर बहुत ही अच्छे तरीके से चल रहे हैं। लगातार चल रहा है।

संतालपरगना जैसे सुदूर क्षेत्र के विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ऑनलाइन क्लासेस से कितने प्रतिशत छात्र लाभान्वित हो रहे हैं और जिनके पास ऑनलाइन की सुविधा नहीं है उसके लिए क्या योजना है ?

जब कॉलेज चल रहा होता तो अनुमातः पचास फीसदी छात्र नियमित रूप से उपस्थित रहते हैं लेकिन ऑनलाइन क्लास के माध्यम से 60 फीसद से अधिक छात्र लाभान्वित हो रहे हैं और जहां तक बात है कि सभी छात्रों के पास ऑनलाइन की सुविधा नही होगी या इंटरनेट नहीं होगा तो उसके लिए कनेक्टिविटी का प्राब्लम होगा। जिन बच्चों की पढ़ाई किसी कारण छूट भी जाता है तो उसके लिए उसे चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमने लॉकडाउन के पहले दिन ही छात्रों को आश्वस्त किया है कोर्स को खत्म करवाने के बाद ही परीक्षा ली जायेगी। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। यह विश्वविद्यालय छात्रों के लिए है, छात्र हित के लिए जो करना होगा वह किया जायेगा। जब छात्र चार महीने बैठे रहेंगे तो मनोवैज्ञानिक दबाव में आ जायेंगे कई जगह से मनोवैज्ञानिक दबाव के कारण खुदकुशी भी कर लेते हैं। इसलिए हम उसे वाट्सएप के जरिये मैटेरियल प्रदान कर रहे हैं ताकि वे इंगेज रहे पढ़ाई करे।

लॉकडाउन के बाद ऑनलाइन मॉडल के बढ़ने की संभावना है, इस स्थिति में विश्वविद्यालय कितना तैयार है ?

एक चीज आप मान लीजिए बाकी विश्वविद्यालयों की तुलना में हम ऑनलाइन में बहुत आगे हैं। मॉडल क्लाउड सबसे अच्छा मॉडल माना जाता है, लॉकडाउन के पहले ही हमने नये पाठ्यक्रम के लिए के लिए मीटिंग की थी। हमने प्रस्ताव दिया है कि वर्तमान पाठ्यक्रम को बदलकर जॉब ओरिंयेंटेड, क्वालिटी ऑरिएंडेट, नेट ऑरेएंटेड कोर्स को शामिल किया जाय, पीजी स्तर इसका अनुपालन भी हुआ है। इसमें एक पेपर ऑनलाइन रखा जायेगा, हर सेमेस्टर में एक पेपर ऑनलाइन रखा जाय। 2017 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रकाश जावेडकर के साथ हमलोंगों की बैठक हुई थी। उस समय एक स्कीम आया था 17/17  अर्थात 2017 में 17 काम करना है। उसमें ऑनलाइन पढाई को बढ़ावा देने की बात की गई थी। इसलिए हमने अपने विश्वविद्यालय में वर्चुअल क्लासेस बनाने का प्रस्ताव दिया था…वर्चुअट क्लासरूम अगर सभी कॉलेज में बन जाते तो बहुत अच्छा होता। हम यहां पढ़ाते और सभी कॉलेज के छात्र उसमें शामिल होकर पढ़ते और वहां से सवाल पूछते।

नई शिक्षा नीति के मसौदे में मॉडल कॉलेज और यूनिवर्सिटी बनाने की बात की गई है। इस दिशा में एसकेएमयू अपने आपको कहां देखती है ?

हमारे यहां पहले से ही मॉडल कॉलेज बन चुके हैं और संभवतः इस सत्र से शुरू भी हो जायेगें। देवघर के पालोजोरी में बने मॉडल कॉलेज को जाकर देख लीजिए। फर्नीसिंग और इन्फ्रास्ट्रचर को देख कर सहज अनुमान आ जायेगा । यह कॉलेज इस प्रकार से तैयार किया गया कि पहले दिन से ही पूरे रॉ में काम करना शुरू कर देगा। यह पहले पहले जैसे एक -दो कमरे कमरे बनाकर कक्षाएं चलाने वाले कॉलेजों की तरह नहीं है। जरमुंडी, फतेहपुर में भी मॉडल कॉलेज तैयार हो गया। ये देखने लायक है। जो सुविधा आइडियल संस्थान में होना चाहिए वह सबकुच तैयार होकर शुरू होने वाला है, इस दिशा में हमलोग कार्यरत हैं।

 

कुलपति एसकेएमयू

कैंपस प्लेसमेंट और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर आपकी क्या राय है?

विश्वविद्यालय का मतलब यह नहीं है कि बच्चा आये पढ़े नहीं सिर्फ डिग्री लिए चल गये, अब ऐसा नहीं चलेगा। हमारा लक्ष्य है कि बच्चे को क्वालिटी बेस एडुकेशन देकर उसे इस लायक बनायें ताकि उसका कैंपस प्लेसमेंट हो सके। वह इस योग्य बन सके कि आगे चलकर देश को दिशा दे सके। 26 साल के इतिहास में किसी ने कल्पना भी नहीं किया होगा कि देवघर कॉलेज, एसपी कॉलेज और साहिबगंज कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट होगा लेकिन इसे हमने करवाया। मेरे तीन साल के कार्यकाल में 15000 से अधिक बच्चे रेलवे, शिक्षक, बैंकिग इत्यादि के क्षेत्र में सरकारी नौकरी ली। कैंपस प्लेसमेंट के लिए प्रयास करने की जरूरत है, अगर रोज रोज अखबारों में निकले कि कॉलेज बंद है, आज हड़ताल है कल तालाबंदी है पढ़ाई नीहं होती है। आपकी नेगेटिव चीज बाहर अगर आ जाती है तो कंपनिया आपको ब्लैक लिस्ट में डाल देगी। देखिये देश भर में अनेकों इंजनियरिंग कॉलेज हैं लेकिन सभी कॉलेज में प्लेसमेंट नहीं होती है प्लेसमेंट कहां होता है जहां कॉलेज की केरेडिबिलिटी है।

हमने विश्वविद्यालय की कैरेडिबिलिटी पर ध्यान दिया देश भर मे स्वच्छता रैंकिग में एसकेएमयू का स्थान आया है। हमारी यूनिवर्सिटी और पटना यूनिवर्सिटी में कोई तुलना है क्या ?  कभी पटना यूनिवर्सिटी को पूर्व का ऑक्सफ़ॉर्ड कहा जाता है उसे सी ग्रेड मिला और हमारे पास कुछ नहीं होने के बावजूद कैंपस को सी ग्रेड मिलता है। देवघर क़ॉलेज को बी ग्रेड, बी प्लस ए.एस कॉलेज समेत बाकी सारे कॉलेज को बी प्लस आया तो बताइये यह  कैरेडिबिलिटी है या नहीं…कोई भी अगर कुछ बोलता है तो पटना कॉलेज की तुलना में हम बेहतर जगह पर आये कि नहीं….कंपनिया नाक रगड़ कर आयेगें जब हमारे छात्र काबिल होंगे।

झारखंड – बिहार में सबसे रेगुलर सेशन है। अगर कोरोना नहीं होता तो हमारी सारी परीक्षाएं पूरी हो जाती। 10 जून तक रिजल्ट दे देते। जुलाई से मेरा नया सेशन शुरु हो जाता। ये कैरेलिबिलिटी है, कैरेडिबिलि बढ़ाना होगा जब यह होगा तो कंपनिया जरूर आयेगी।  मेरे नजर में वीसी शूड नॉट वनली बी अफेसियेंट वीसी शूड भी इफेक्टिबिली । अगर बहुत काबिल है लेकिन उसे आप सदुपयोग में यानी प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाते हैं तो सब बेकार है।

 

लॉकडाउन में छात्रों को क्या कहना चाहेगें ?

लॉकडाउन के कारण बैठे सभी छात्रों से मेरा कहना है कि आशावादी बने, इस लॉकडाउन को अवसर के रूप में बदलें। आपका समय बर्बाद नहीं होगा, सेशन फिर से अगले साल नियमित हो जायेगा। किसी भी प्रकार के मनोवैज्ञानिक दबाव में नहीं आयें, पढ़ाई करें। शिक्षकों के साथ ऑनलाइन पढ़ाई में भाग लें और उनसे फायदा लें सबसे बड़ी चीज खुद को सुरक्षित रखें, अपने परिवार का ख्याल रखें, सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए समाज को बचायें।