सारठ। गरीबी एक ऐसी लाचारी है जो उम्मीद के पंख को उगने से पहले ही नष्ट कर देती है। अंतहीन गरीबी कोड़ की तरह है जो प्रतिभा का गला घोंट कर योग्य नौनिहालों के भविष्य को गर्त में पहुंचा देता है। हालांकि बुलंद हौसलों के आगे के कई बार गरीबी और मजबूरी को घूटनो के बल चलते भी देखा गया है। कुछ दिन पहले की बात है सोशल मीडिया पर एक गरीब महिला परिवार ने समाज से मदद की गुहार लगाई क्योंकि वो अंतहीन संघर्ष से लड़ते – लड़ते लगभग टूट चुकी थी। उनके उम्मीद का दीया बुझने ही वाला था कि मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय के सदस्यों ने उसकी बाती को आशा के तेल में डूबोकर कूप अंधेरों से भरे घर को रौशन करने का बीड़ा उठाया। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले एक महिला के परिवार ने पुस्तकालय के एक फेसबुक पोस्ट पर कमेंट कर मदद मांगी थी। पुस्तकालय के अध्यक्ष रंजन गुप्ता के निर्देश पर जब उन्हें सारवाँ शाखा के दीपक राणा एवं वीरेंद्र कुमार ने संपर्क किया गया तो पता चला कि उनकी बच्ची को दवा और फल इत्यादि की जरूरत है। पुस्तकालय के नितेश झा के माध्यम से अगले दिन ही उन्हें आवश्यक आर्थिक मदद उपलब्ध करा दी गई।
पूछताछ करने पर पता चला कि उस परिवार में कोई भी पुरुष नहीं है, परिवार के मुखिया की मृत्यु हो चुकी है। आर्थिक तंगी के कारणों से दोनों बच्चियों की पढ़ाई पूरा होने के पहले ही बंद हो गई, प्रतिभा घूंट – घूंट कर घरों में सिसक रही है। आय का कोई नियमित साधन भी नहीं है। बातचीत से पता चला कि वे हुनरमंद है, उन्हें सिलाई का काम आता है। पुस्तकालय प्रबंधन ने सोचा क्यों न ऐसा प्रबंध किया जाय जिससे इन्हें नियमित कमाई का जरिया मिल जाए। नियमित आय की व्यवस्था के संबंध में पूछने पर उस परिवार ने बताया कि उन्हें सिलाई का काम आता है और एक सिलाई मशीन की व्यवस्था कर देने से वो अपना घर चलाने में सक्षम होंगे।
परिवार का हौसला तो बुलंद था ही बस जरूरत थी अवसर की और अवसर प्रदान करने के लिए मुंशी प्रेमचंद पुस्तकालय ने बीड़ा उठाया। जानकारी के मुताबिक इस जरुरतमंद परिवार को सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में प्रतिष्ठित अधिवक्ता उज्जवल झा के सौजन्य से पुस्तकालय ने एक सिलाई मशीन के साथ कैंची और एक डब्बा धागा उपलब्ध कराया। उज्जवल झा मूलतः देवघर के निवासी हैं। उन्होंने इस परिवार के लिए अपनी शुभकामनायें भी भेजी हैं। पुस्तकालय परिवार भी इस परिवार के मंगल की कामना करता है। इस नेक कदम के लिए पुस्तकालय परिवार ने उज्जवल झा के प्रति आभार व्यक्त किया है।
नीतेश झा बताते हैं कि फिलहाल पुस्तकालय प्रबंधन द्वारा बच्चियों की आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें आश्वस्त किया है। उन्होंने बताया कि बच्ची की पढ़ाई से संबंधित सभी जरूरत को पुस्तकालय अपने प्रोजेक्ट चिराग के तहत पूरा करेगा। पढ़ाई में सहयोग के लिए बैंगलोर से भारती प्रसाद जी ने भी प्रस्ताव रखा है। सुश्री भारती राँची की रहने वाली हैं। इस बीच दो और जरूरतमंद परिवारों ने भी पुस्तकालय को संपर्क किया है। पुस्तकालय इन परिवारों की मदद का हर संभव प्रयास करेगा और इन परिवारों के बच्चों की शिक्षा में आ रही हर बाधा को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है ।