स्वास्थ्य के लिए घातक है केमिकल युक्त सब्जियां

 प्रतीक खरे

मानव जीवन में स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना गया है। सांसारिक सुखों और जरूरतों के लिए भले ही धन-दौलत और ऐश्वर्य की वस्तुएं चाहिए, लेकिन इनका उपयोग करने के लिए भी स्वस्थ शरीर का होना जरूरी है। कहा भी गया है कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होता है। ऐसे में जरूरी है कि हम अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें, इसके लिए दैनिक क्रियाविधि के साथ अपने भोज्य पदार्थों के चयन पर ध्यान देने की जरूरत है। तन और मन का गहरा संबंध है। एक स्वस्थ तो दूसरा भी स्वस्थ। एक रोगी, तो दूसरा भी रोगी। असल में शारीरिक स्थितियों और बाहरी घटनाओं से मन प्रभावित होता है और मानसिक स्थितियों और घटनाओं से तन प्रभावित होता है। ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है ‘- यह अधूरा सत्य है। इसके साथ यह भी जोड़ जाना चाहिए , ‘ स्वस्थ मन से स्वस्थ शरीर का निर्माण होता है।

हरी सब्जियों हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है। डॉक्टर के द्वारा भी हरी सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है। सब्जियों का स्वस्थ शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है लेकिन वर्तमान परिदृश्य में स्वस्थ रहने के लिए भोजन में केवल हरी सब्जियों का होना जरूरी नही बल्कि उन हरी सब्जियों का शुद्ध होना भी जरूरी है।

निरोग रहने का साधन ही बीमारी की सौगात दे रही है। आजकल थोक बाजार में सब्जियों की बढ़ती मांग व अधिक लाभ कमाने की चाहत में किसान लोगों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैँ। जो सब्जियां बाजार में हमें हरी-हरी और चमकदार नजर आ रही हैं वह जरूरी नही की स्वास्थ के लिए सही हो।

डॉ आएल रावत (कृषि विज्ञान केन्द्र, वालाघाट) ने बताया कि आजकल किसान सब्जियों को हरा और चमकदार बनाने के लिए मैलाकाइट ग्रीन (malachite green) नामक केमिकल का स्प्रे करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग हरी सब्जियों को मैलाकाइट ग्रीन के लिक्विड मिश्रण में डुबो देते हैं जिससे ये और ज्यादा हरी दिखने लगती हैं। इस केमिकल का प्रयोग ज्यादातर मेट्रो सिटी में होता है।

 

फलों और सब्जियों को बड़ा और जल्द से जल्द उगाने की होड़… 

किसानों द्वारा सब्जियों के पैदावार को बढ़ाने के लिए पशुओं को दी जाने वाली प्रतिबंधित सूई ऑक्सीटोक्सिन का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसके प्रयोग वाली सब्जी स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह है। इन दिनों किसान अपनी सब्जी की पैदावार बढ़ाने के लिये पशुओं को दी जाने वाली प्रतिबंधित सूई का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। इस सूई के प्रयोग से सब्जियों में रातों-रात चार से छह गुणा की बढ़ोत्तरी होती है। वहीं सब्जियों के ऊपरी भाग पर एक विशेष प्रकार की चमक आ जाती है जो ताजा और पुष्ट होने का एहसास कराती है, ऑक्सीटोक्सिन सुई का प्रयोग करने से पौधों में पानी को तेजी से सोखने की क्षमता बढ़ जाती है जिससे सब्जियां रातों रात बढ़ जाती हैं।  किसान लत्ती वाले पौधे जैसे लौकी, खीरा परवल, झीगा आदि में या फिर जड़ वाले ताना में या बीच वाले ताना में ऑक्सीटोक्सिन की सूई लगाते हैं। इसके अलावा कड़े तना वाले पौधे जैसे बैगन, भिन्डी, मिर्च आदि में उक्त दवाई से छिड़काव भी किया जाता है।

डॉक्टर आरएल रावत की मानें तो यह काफी खतरनाक है। ऐसे सब्जियों के प्रयोग से मानव शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है और घातक बीमारी भी हो सकती है। इसके अत्यधिक प्रयोग से लोगों में हार्मोनल डिसबेलेंस जैसी समस्या हो सकती है जो आज की एक गंभीर समस्या बनी हुई है। उन्होंने बताया कि कि इस तरह के केमिकल के प्रयोग से अंग की क्षति, म्यूटॅजेनिक, कैंसर और विकास संबंधी समस्याएं होने की संभावना होती है।

आजकल जहां सब्जियों को हरा दिखाने की होड़ लगी हैं वहीं फलों को ज्यादा मीठा और लाल करने की होड़ भी है। आम, तरबूज, अमरुद जैसे फलों में इंजेक्शन लगाकर ज्यादा चमकदार और मीठा बनाने में भी किसान पीछे नही हैं। उन्होंने बताया कि तरबूज में इंजेक्शन के माध्यम से लाल रंग उसके अंदर पहुंचाते हैं और तरबूज को ज्यादा लाल और मीठा बनाए रखने के लिए व्यापारी उसमें केमिकल, रंग और चीनी या सेक्रीन का घोल इंजेक्शन से डालते हैं। इससे तरबूज बिलकुल लाल दिखाई देता है और लोग उसे ताजा और मीठा मानते हैं।

 

कैसे करें जांच :  

हरी मटर में अधिकतर जगहों पर कृत्रिम रंग का इस्तेमाल किया जाता है, जिस वजह से वे देखने में और ज्यादा चमकदार और हरी नजर आती हैं। चेक करने के लिए दो-चार फालकिया मटर लेकर एक बीकर में डालें और इसे पानी से भर दें। इसे आधे घंटे के लिए पानी में छोड़ दें और फिर उसके बाद पानी की जांच करें। अगर पानी का रंग बदल हुआ नज़र आये तो समझ लें कि मटर के साथ मिलावट हुई है और अगर पानी के रंग में जरा भी बदलाव  नहीं हुआ है तो इसका मतलब है कि मटर पूरी तरह नेचुरल है।

पैराफिन में भिगोई हुई एक कॉटन का कपड़ा लें और इससे सब्जियों के ऊपरी हिस्से को रगड़ें। अगर सब्जी का हरा रंग कपड़े पर लग रहा है तो समझ लें कि सब्जी के साथ छेडछाड़ की गयी है। अगर कपड़े पर बिल्कुल भी रंग नहीं लगता है तो समझ लें कि सब्जी पूरी तरह नेचुरल है।

 

किन किन सब्जियों में किया जाता है केमिकल का इस्तेमाल

सब्जियों को हरा दिखाने के लिए उसमें हरे रंग का इस्तेमाल ज्यादा होता है। इसमें कॉपर सल्फेट का प्रयोग किया जाता है। रंगे जाने वाले सब्जियों में आलू, परवल, करेला, भिंडी, बैगन, मटर, बोदी, टमाटर आदि शामिल हैं। आलुओं को ताजा दिखाने के लिए पीले रंग से रंगकर उसे ताजा दिखाने का प्रयास किया जाता हैं।

ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग लौकी, तोरई, कद्दू, शिमला मिर्च, करेला, परवल आदि सब्जियों को जल्दी तैयार करने के लिए किया जाता है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के प्रयोग से तैयार सब्जी के सेवन से कैंसर, आंख, लीवर और पेट संबंधी बीमारी हो जाती है।

 

(लेखक बहुभाषी संवाद समिति ‘हिन्दुस्थान समाचार’  में उप संपादक हैं।)

 

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