कांची पीठ शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती आज ब्रह्मलीन हो गये। वह 82 वर्ष के थे। जगदगुरू शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती के ब्रह्मलीन होने की खबर मिलते ही समस्त देशवासियों में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जगतगुरू जयेंद्र सरस्वती के निधन पर उनके साथ अपनी पुरानी स्मृतियों (फोटो) को शेयर करते हुए लिखा है कि श्री कांची कामकोट पीठ के जगदगुरु जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के निधन से गहरा दुख हुआ है। वे अपनी अनुष्ठान सेवा और उत्कृष्ट विचारों के कारण लाखों भक्तों के दिल और दिमाग में जीवित रहेगे। मृत आत्मा को ऊं शांति।
शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती हिंदू धर्म के बड़े गुरु एवं कांची मठ के 69 शंकराचार्य थे। कांची कामाकोटी पीठ के पुजारी और 69वें शंकराचार्य थे। उनका जन्म 18 जुलाई 1935 को को हुआ था। वह 1954 में शंकराचार्य बने थे। बता दें कि शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को जनवरी माह में सांस लेने में तकलीफ हुई थी एवं लो बल्ड प्रेशर के चलते बेहोश हो गए थे, जिसके पश्चात उन्हें चेन्नई के एक प्रसिद्ध अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि बाद में तबीयत में सुधार होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
कांचीकोची मठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में की थी। यह पीठ हिन्दुओं के लिए काफी पवित्र माना जाता है तथा दक्षिण भारत में इसके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। वर्ष 1954 में तत्कालीन शंकराचार्य चंद्रशेखर सरस्वती ने जयेन्द्र सरस्वती को अपना उत्ताराधिकारी घोषित किया था, इसके बाद वे कांचीकोची मठ के शंकराचार्य बने। जगतगुरू जयेन्द्र सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद अब विजयेन्द्र सरस्वती उनका स्थान लेंगे। शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती के नेतृत्व में कांची कामाकोटी पीठ धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में आगे रहा। इस दौरान पीठ ने कई अस्पताल और विद्यालय का निर्माण कराया।
गौरतलब है 2004 में कांचीपुरम वर्दराजन पेरूमल मंदिर के प्रबंधक(मैनेजर) की हत्या के मामले में जयेन्द्र सरस्वती का नाम आया था, लेकिन 2013 में अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त किया।