देवघर : देवघर के बच्चे, मौत को अपने हथेली पर रखकर पढ़ाई कर रहे हैं। इस बात को सुनकर भले ही आपको अचरच हो लेकिन यह सौ फीसदी सत्य है। देवघर के नेशनल हाइवे 114-ए एवं 333 पर अवस्थित विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जार रहे बच्चों की जिंदगी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। विद्यालय से छुटने के बाद बच्चों को हाईवे पार करना पड़ता है, सबसे बड़ी आश्चर्य की बात है कि हाईवे पार करने के लिए अभी तक कोई सांकेतिक चिह्न यानि जेब्रा क्रॉस तक नहीं है और न ही फुटओवर ब्रीज है। मजबूरन बच्चों को अपने सर पर कफन बांधकर रोड क्रॉस करना पड़ता है।
हाइवे के किनारे स्थित इन विद्यालय के बच्चों को कब यमराज अपने पास बुला ले इसकी कोई गारंटी नहीं… आये दिन देश भर में हो रही घटनाओं को देखने के बावजूद यातायात व परिवहन प्रशासन गंभीर नहीं है। इन हाइवे पर गाड़ियां की रफ्तार और अनियंत्रित यातायात व्यवस्था के कारण माता-पिता व अभिभावक भी बच्चों को लेकर काफी चिंतित हैं।
बिहार के मुजफ्फरपुर में शनिवार को हाइवे पर नौ बच्चों की मौत ने यातायात व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। देवघर में होने वाली दुर्घटनाओं पर अगर गौर करें तो पता चलता है कि सड़कों पर वाहनों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन वाहनों के बढ़ते अनुपात में यातायातक नियंत्रण का समुचित इंतजाम अभी तक नहीं है, जबकि बाबा के पास आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।