भारतीय पुरा-वनस्पति विज्ञान के शिखर-पुरुष: प्रोफेसर बीरबल साहनी

करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर कई प्रकार की वनस्पतियां मौजूद थीं। लेकिन, उनमें से अधिकांश अब जीवाश्म (फॉसिल) बन चुकी हैं। उनके अवशेष समुद्री किनारों, पहाड़ की चट्टानों, कोयले की खानों आदि स्थानों से प्राप्त होते रहते हैं। इन अवशेषों से तत्कालीन समय की महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती हैं, जिससे तत्कालीन जलवायु एवं वातावरणीय ताने-बाने…

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अब कोहरे से बुझेगी प्यास

कोहरे को सिर्फ धुंध का गुबार समझना गलत है क्योंकि इस धुंध में पानी का विपुल भंडार होता है, जिसे एकत्रित करके पेयजल के रूप में उपयोग कर सकते हैं। दुनियाभर में वैज्ञानिक कोहरे या ओस जैसे अप्रत्याशित स्रोतों से पीने का पानी प्राप्त करने की तकनीक विकसित करने में जुटे हुए हैं, ताकि पानी…

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