भगोड़ों पर रहम और किसानों पर सितम….इस पंक्ति को भारतीय बैंकों की कार्यशैली से जोड़ कर देखे जाने में कोई गुरेज नहीं हैं। नीरव मोदी, विजय माल्या, राहुल चौकसी जैसें भगोड़े, बैंकों से हजारों – हजार करोड़ रूपये लेकर भाग रहे हैं लेकिन किसानों के लिए निर्धारित लक्ष्य तक लोन देने में बैंको स्थिति खराब हो रही है। देवघर के किसानों के प्रति बैंकों की बेरूखी से अन्नदाताओं की अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है। देवघर जिलें के कुछ बैंकों को छोड़ दे तो अधिकतर बैंक किसानों को ऋण देने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं, ऐसे में अनुमान लगाना मुश्किल है कि समय पर ऋण नहीं मिलने पर किसानों को खेती करना कितना कठिन हो जायेगा। जिस देश के अन्नदाता ही दाने दाने के लिए तरस रहे है उस देश की स्थिति क्या होगी इसका अनुमान सहज रूप से अनुमान लगाया जा सकता है। किसानों को ऋण देने में प्रत्येक वर्ष बैंक लक्ष्य से पीछे रह जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 पर गौर करें तो देवघर जिले में 22 बैंकों ने लक्ष्य के अनुसार किसानों को ऋण नहीं दिया। किसानों के हित के लिए बना को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों के कानों में तो जूं तक नहीं रेंगी। पिछले वित्तीय वर्ष में कॉपरेटिव बैंक को 2145 किसानों को ऋण प्रदान करना था परंतु बैंक के द्वारा मात्र 58 किसानों को ऋण दिया गया। आंध्रा बैंक, एक्सिस बैंक और बंधन ने तो एक भी किसानों को ऋण नहीं दिया।
राहत की बात यह है कि भारतीय स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक और वनांचल ग्रामीण बैंक ने अपने लक्ष्य से अधिक किसानों को ऋण दिया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने निर्धारित लक्ष्य 6910 से अधिक 10,314 को किसानों को ऋण दिया, इलाहाबाद बैंक ने 3580 की जगह 12685, वनांचल ग्रामीण बैंक ने 5720 की जगह कुल 11424 किसानों को ऋण प्रदान किया। जबकि आंध्रा बैंक को 238, एक्सिस बैंक को 238, बंधन बैंक को 253 किसानों को ऋण देने थे, इसके उलट इन बैंकों ने एक भी किसानों को ऋण नहीं दिया। बीओआइ को 1670 किसानों को ऋण देना था जबकि उन्होंने 1360 किसानों को ऋण दिया, इसी प्रकार सैन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 1906 की जगह 726, पीएनबी ने 238 की जगह 169, यूनाइटेड बैंक ने 715 की जगह 134, केनरा बैंक ने 715 की जगह 210, यूनियन बैंक ने 238 की जगह 60, यूको बैंक ने 715 की जगह 59, बैंक ऑफ बड़ोदा नें 715 की जगह 26, आइओबी ने 238 की जगह 25, सिंडिकेट बैंक ने 1190 की जगह 793, ओबीसी ने 238 की जगह 10, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 238 की जगह 25, इंडियन बैंक ने 238 की जगह 272 देना बैंक ने 715 की जगह 157, विजया बैंक ने 238 की जगह 25, कॉपरेशन बैंक ने 238 की जगह 101, आइडीबीआई बैंक ने 238 की जगह 50, एचडीएफसी बैंक ने 715 की जगह 42, आइसीआइसीआई बैंक ने 263 की जगह मात्र 9 किसानों को ऋण प्रदान किया। ऐसे में बैंको की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है। विजय माल्या, नीरव मोदी, राहुल चौकसी जैसे भगोड़ों के लिए बैंक को ऋण देने में गुरेज नहीं है लेकिन देश के अन्नदाता को ऋण देने में अरूचि है।