सियासी गर्मी के सामने कहर बरपाती सूर्य की रौशनी भी फीकी पड़ती जा रही है । इसकी बानगी झारखंड में देखने को मिल रही है । दरअसल कोडरमा के सांसद डॉ रविन्द्र राय के भाई व भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेन्द्र राय के इस्तीफे के बाद झारखंड की सियासी गर्मी बढ़ गई है खासकर गिरिडीह और कोडरमा में….. इसी बीच मुख्यमंत्री रघुबर दास ने गिरिडीह में चुनावी कार्यालय का उद्घाटन किया और सभाएं भी । दैनिक जागरण में छपी एक खबर के मुताबिक गिरिडीह पहुंचे सीएम दास ने इशारों ही इशारों में अपने ही पार्टी के सांसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र राय का जमकर खिंचाई की ।मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में एक बार भी रवींद्र राय का नाम नहीं लिया। अपने भाषण की शुरूआत उन्होंने अपनी चुनावी सफर से की। बकौल रघुबर दास कभी – कभी नेताओं को अहंकार आ जाता है, लेकिन जिस नेता को अहंकार आया समझो उसका सर्वनाश हो गया। सीएम ने अपने चुनावी जीवन का उदाहरण देते हुए बताया कि दीनानाथ पांडेय जमशेदपुर पूर्वी के लगातार तीन बार से विधायक थे। काफी लोकप्रिय थे। झोला में ही मुहर रखते थे। जब जिसे जहां जरूरत होती थी, हस्ताक्षर कर मुहर लगा देते थे। पार्टी ने उनका एवं बोकारो से समरेश सिंह का टिकट काट दिया। दीनानाथ जी को अहंकार आ गया कि जमशेदपुर पूर्वी में भाजपा की पहचान उनसे है। बगावत कर चुनाव लड़ गए। पार्टी ने मुझे प्रत्याशी बनाया। मैं जमशेदपुर पूर्वी भाजपा का महामंत्री था। साथ ही टिस्को में मजदूर था। हमारे कुछ शुभ चिंतकों ने चुनाव लडऩे में मेरी आर्थिक मदद की। हमने घर-घर जाकर वोट मांगना शुरू किया, आलम यह था कि जमशेदपुर का कोई भी अखबार चुनाव में मेरा समाचार नहीं छाप रहा था। संपादकों से मिलकर मैंने आपत्ती भी जताई और कहा कि भाजपा की हालत इतनी भी खराब नहीं है कि सिंगल कॉलम भी खबर नहीं छापी जाए। इस पर मुझे कहा गया कि भाजपा के सभी वोट पांडेय जी ले जा रहे हैं। इस पर मैंने कहा कि क्या मैं झुनझुना बजाऊंगा। निराश होने के बजाए हमने घर-घर जाकर वोट मांगता रहा और मैं 1101 वोट से चुनाव जीत गया। चुनाव परिणाम आते ही मैं चार अखबारों का दफ्तर मिठाई लेकर गया और चारों के संपादक को भेंट किया। जो भी यह समझता है कि पार्टी उससे है, गलत है। पार्टी उससे नहीं बल्कि वह पार्टी से है। इस कारण कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, इसकी चिंता कार्यकर्ता न करें।
संबोधन समाप्त होने के बाद सीएम रघुवर दास ने पार्टी के विधायकों के साथ बैठक भी, जो बिल्कुल गोपनीय था । मीडिया उनसे सवाल करना चाह रहे थे लेकिन पत्रकारों के लाख प्रयास के बाद भी उन्होंने किसी से बात नहीं है । सभा में डॉ. रविन्द्र राय के नहीं पहुंचने के बाद गिरिडीह में चर्चाओं का बाजार फिर से गर्म हो गया है । कोडरमा लोकसभा से कौन जितेगा वह तो परिणाम आने के बात पता चलेगा लेकिन सियासी ड्रामा जारी है । बता दें कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र के नेतृत्व में भाजपा ने 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी तथा उनके की नेतृत्व में पहली बार झारखंड में भाजपा की अगुवाई में स्थिर सरकार बन पायी थी, ऐसे में पार्टी द्वारा डॉ. राय का कोडरमा से टिकट काटे जाने के बाद भाजपा के अंदरूनी खेमे में गुटबाजी चरम पर है । हांलाकि भाजपा नेतृत्व किसी भी प्रकार की गुटबाजी से इंकार कर रहे हैं ।