नई दिल्ली : दिल्ली में सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित दो दिवसीय सावरकर साहित्य सम्मलेन का समापन आज आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में हुआ। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय परिचर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि हमें सावरकर के सामाजिक समरसता और राष्ट्रवाद के विचारों का अनुसरण करना चाहिए। सम्मलेन मे इस बात पर भी चर्चा हुई की सावरकर को हमेशा अपमान ही सहना पड़ा और उनके बारे में जो धारणाएं बनी वे वास्तविकता से काफी कोसो दूर हैं। अतः यह वर्तमान भारत में युवाओं की जिम्मेदारी बनती है की वे सावरकर के विचारों की प्रासंगिकता के बारें में समझे और उनके राष्ट्र निर्माण में योगदान पर पुनः विचार करें।
इस सम्मलेन में उनके ऊपर लगे आक्षेपों और उनकी वास्तविकता पर भी विचार किया गया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि गृह मंत्री अमित शाह ने अपने सन्देश सावरकर के अद्वितीय व्यक्तित्व की प्रशंसा की और सामाजिक समरसता एवं साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को याद किया।
केंद्रीय मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने सावरकर को लेकर सबसे बड़ी समस्या की ओर संकेत करते हुए कहा के उनके बारे में किया गया दुष्प्रचार, सच्चाई से परे है| आवश्यकता है उनके बारे में फैलाए गए दुष्प्रचार को रोकने और उनका सही चित्र प्रस्तुत करने की।
भाजपा नेता और सांसद सुभ्रमण्यम स्वामी ने सावरकर को भारत रत्न देने की मांग करते हुए कहा कि इससे भारत रत्न की गरिमा बढ़ेगी।
गुजरात और मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वीर सावरकर के क्रांतिकारी, संगठनात्मक, वैचारिक और भविष्यदृष्टा के रूप में दिए गए योगदानों को पुनः स्मृत कराया।
आयोजन समिति के सह सचिव संजीव तिवारी ने वक्ताओं के सामने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी और कहा की सावरकर की प्रासंगिकता वर्तमान भारत में कई गुना बढ़ गयी है। आवश्यकता है सावरकर के विचारों को पढने, समझने और आम जनता तक पहुचाने की। आयोजन समिति के सचिव रविंद्र साठे ने कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। स्वागत समिति के सचिव राज कुमार भाटिया ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया।