मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने चर्चित भीमा कोरेगांव हिंसा के 348 केस वापस ले लिए हैं। महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से कई राजनीतिक पार्टियां भौचक्के हो गए हैं। इसके अलावे सरकार ने मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए 548 मुकदमों में 460 को वापस ले लिया है। बताया जा रहा है कि भीमा कोरगांव हिंसा मामले की कर रहा आयोग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो सह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार को भी पूछताछ के लिए बुला सकता है। क्योंकि आयोग ने पहले ही साफ तौर पर कह दिया था कि जरूरत पड़ने पर पवार के साथ – साथ पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को भी बुला सकता है।
18 फरवरी 2020 को शरद पवार ने संवाददाता सम्मेलन में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं मिलिंद एकबोटे एवं शंभाजी भिड़े का नाम लेते हुए कहा था कि इन दोनों ने ऐसा वातावरण क्रिएट किया, परिणामस्वरूप एक जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की। उन्होंने पुणे के पुलिस आयुक्त की भूमिका पर संदेह व्यक्त करते हुए इसकी जांच पर की बात कही थी। ज्ञात हो कि पवार के तर्क के विपरीत पुणे पुलिस ने इस हिंसा के लिए 31 दिसंबर, 2017 की शाम पुणे स्थित शनिवार वाड़ा के बाहर आयोजित यलगार परिषद की सभा में दिए गए भड़काऊ भाषणों को जिम्मेदार ठहराया था।पुलिस ने यह भी कहा कि इस सभा का आयोजन महाराष्ट्र में जातीय हिंसा भड़काने के लिए माओवादियों के सहयोग से किया गया था।