विरोट कोहली की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम अपने सर्वकालिक स्वर्णीम काल में है। यह वह दौर है जब भारतीय टीम क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में शीर्ष पर या दूसरे स्थान पर काबिज है। प्रदर्शन, रवैया और जीत की भूख इन सभी खाकों पर विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम ने विदेशी सरजमीं पर खुद को बेहतर तरीके से रेखांकित किया है। मगर क्रिकेट को अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है, जिसमें हर पल रोमांच का पुट होता है और खेल किसी भी क्षण अपने वर्तमान स्थिति से बदल सकता है। हर पल बदलने की फितरत वाले इस खेल का ही कमाल है कि जिस इंग्लैंड दौरे का आगाज भारतीय टीम ने टी-20 श्रृंखला जीतकर किया था, अंजाम आते-आते वह टीम एकदिवसीय और टेस्ट दोनों की श्रृंखला में पराजित हो गई।
मेहमान टीम के तौर पर भारतीय टीम के इंग्लैंड दौरे की शुरुआत टी20 श्रृंखला से हुई, जिसमें भारतीय टीम ने इंग्लैंड को 2-1 से हराकर अपने मंसूबे साफ कर दिए। भारतीय टीम ने अपने प्रदर्शन से जता दिया कि इस बार इंग्लैंड दौरे का परिणाम पूर्व की तुलना में बेहतर करना ही उनकी मकसद है, जिसके लिए वो पूरी तैयारी करके आए हैं। बल्लेबाजी की अच्छी-खासी लम्बी फेहरिस्त, जिसमें हर खिलाड़ी अपने आप में मैच विनर है। तो वहीं गेंदबाजी की कमान उमेश यादव, भुवनेश्वर कुमार, सिद्धार्थ कौल, कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल के कंधों पर थी, जिसे उन्होंने काफी अच्छे से संभाला। जबकि हार्दिक पांड्या ने गेंद और बल्ले दोनों से ही टीम को अपना भरपूर साथ दिया। नतीजा यह रहा कि भारतीय टीम ने टी20 के तीन मुकाबलों में से दो जीतकर श्रृंखला अपने नाम कर ली।
इंग्लैंड दौरे के अगले कदम पर एकदिवसीय मुकाबलों की जद्दोजहद थी। तीन एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला में भी भारतीय टीम ने जीत से शुरुआत कर श्रृंखला में बढ़त बना ली। टीम के इस प्रदर्शन से भारतीय प्रशंसकों और टीम मैनेजमेंट को उम्मीद बंधी कि वाकई इस बार इंग्लैंड दौरे का परिणाम भारतीयों के पक्ष में जाएगा। मगर क्रिकेट के खेल में विरोधियों को हल्का आंकने की एक चूक ने सारी उम्मीदों के धागे खोल दिए। फिर जिस तरीके से इंग्लिश टीम ने जोरदार वापसी की, उससे भारतीय क्रिकेट टीम अगले दोनों मैच में उबर नहीं सकी। नजीता यह रहा कि भारत ने इंग्लैंड के हाथों 2-1 से एकदिवसीय श्रृंखला गंवा दी। एकदिवसीय मुकाबलों में खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर गौर करें तो भारत की हार को लेकर कोई भी आश्वस्त नजर नहीं आएगा। सर्वाधिक रन बनाने की सूची में जहां शीर्ष पांच में से तीन बल्लेबाज भारत के हों और गेंदबाजी में भी भारत के चाइनामैन बॉलर कुलदीप यादव ने सबसे ज्यादा विकेट लेकर खुद को शीर्ष पर रखा हो.. वह भारतीय टीम तीन एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला में 1-0 से आगे रहते हुए भी सीरीज हार गई।
वहीं, एकदिवसीय मुकाबलों में हारने के बाद भारतीय टीम का प्रदर्शन टेस्ट श्रृंखला में कुछ खास नहीं रहा। इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में खेले पहले टेस्ट में भारत जीत की दहलीज पर पहुंचकर इतिहाल रचने से चूक गई। जबकि लॉर्ड्स में खेले दूसरे टेस्ट मैच में इंग्लैंड ने भारत को पारी से मात दी। टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक टीम को मिली इस बुरी हार ने झकझोर कर रख दिया। जिसके बाद भारतीय टीम ने दिवा निद्रा से जागने जैसा करतब कर दिखाया। नॉटिंघम में हुए तीसरे टेस्ट मैच में भारत ने जोरदार वापसी करते हुए इंग्लैंड को 200 से ज्यादा रनों से हराया।
तीसरे टेस्ट में मिली जीत ने सीरीज में संजीवनी का काम किया और भारतीय टीम ने पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला को जीतने की उम्मीदों को जिन्दा रखा। लेकिन एक बार फिर अनिश्चितता के इस खेल ने करवट ली और साउथैम्पटन में खेले गए चौथे टेस्ट मैच में फिर से भारत जीत का स्वाद चखते-चखते रह गया। इस बार भारतीय बल्लेबाजी क्रम जीत के लक्ष्य से 60 रन पहले ही धराशाई हो गया। टेस्ट श्रृंखला गंवाने के बाद पांचवे और आखिरी मुकाबले में भारतीय टीम सम्मान बचाने की मंशा से ओवल के मैदान में उतरी। यहां भी भारतीय टीम की कहानी पूर्व के चार मुकाबलों से ज्यादा अलग नहीं रही। पहली पारी में पिछड़ने के बाद दूसरी पारी में भारत को जीत के लिए 464 रन का लक्ष्य मिला लेकिन भारतीय टीम मैच के चौथे दिन ही कप्तान कोहली समेत तीन बल्लेबाजों को खो दिया। फिर पांचवें दिन मैच में हार टालने की जद्दोजहद के बीच केएल राहुल और रिषभ पंत ने शतक जमाते हुए भारतीय बल्लेबाजी की मजबूत रीढ़ को जरूर दर्शाया लेकिन हार को टाल नहीं सके। इस तरफ एक बार फिर जीत से शुरुआत करने के बाद भारतीय टीम को श्रृंखला में मात खानी पड़ी।
टीम को कुछ मुकाबलों में जीत मिली हो या फिर वह मैच में हारी हो लेकिन टीम के प्रदर्शन ने सबको अचम्भित किया है। टीम में लड़ने के जज्बे को लेकर क्रिकेट के अंतरराष्ट्रीय पटल पर खूब तारीफ हो रही है। इंग्लैंज की सरजमीं पर भी यही हुआ। टीम जीती तो गुणगान हुआ और हारने की सूरत में भी विदेशी मीडिया तक ने भारतीय रणबांकुरों की तारीफ के पुल बांधे। मगर कहा जाता है न कि क्रिकेट आंकड़ों का खेल है और इनके आधार पर ही किसी टीम या खिलाड़ी की परिपक्वता को आंका जाता है। इस बार भी आंकड़ों के फेर में भारतीय टीम एक बार फिर इंग्लैंड के मुकाबले थोड़ी पीछे रह गई। हालांकि अपने गौरव को बचाने के क्रम में भारतीय टीम ने मेजबान देश को टक्कर जरूर दी। इस दौरान खेल के कई स्तर पर भारतीय खिलाड़ियों ने खुद को साबित भी किया कि वो मेजबान टीम से काफी बेहतर है लेकिन परिणाम ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। कहा जा सकता है कि इंग्लैंड दौरे पर भारत ने श्रृंखला भले न जीती हो लेकिन खेल को लेकर अपने सकारात्मक रवैये से सबका दिल जरूर जीता।