जेईई-नीट परीक्षा स्थगित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की फिराक में विपक्ष

कांग्रेस द्वारा बुलाई गई बैठक में विभिन्न पार्टियों के नेता

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीट-जेईई परीक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लाखों की संख्या में छात्र हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से ट्रांसपोर्ट की सुविधा प्रभावित है। ममता ने बताया कि परीक्षा स्थगित करने को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कई पत्र लिखे हैं। जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रिव्यू की मांग कर सकती है। उन्होंने अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हमें एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए और स्थित सुधरने तक परीक्षा टालने की मांग करनी चाहिए।

उक्त बातें ममता बनर्जी ने जीएसटी भुगतान एवं जेईई-नीट परीक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में कही। इस बैठक में ममता बनर्जी के अलावा कांग्रेस शासित सात प्रदेशों राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी, महाराष्ट्र एवं झारखंड के मुख्यमंत्री शामिल हुए।
वहीं जीएसटी बकाए के मसले पर ममता बनर्जी ने कहा कि इस कोरोना काल में राज्य सरकार पूरा खर्च उठा रही है। लोगों के भोजन एवं अन्य जरूरी सुविधाओं का ध्यान रखने के साथ फ्री चिकित्सा सेवा भी देने में लगी हैं। ऐसे में अगर केंद्र सरकार से समय पर मदद का नहीं मिलना काफई दुखद है।
इससे पहले बैठक की शुरुआत करते हुए सोनिया गांधी ने जीएसटी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य सरकारों को जीएसटी का भुगतान समय पर किया जाना चाहिए। जीएसटी का पैसा बड़ा मुद्दा है और भुगतान नहीं होने से राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि बीते 11 अगस्त को वित्त की स्थायी समिति की बैठक में वित्त सचिव ने कहा केंद्र सरकार इस वर्ष 14 प्रतिशत जीएसटी मुआवजे का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। यह इंकार मोदी सरकार की ओर से विश्वासघात से कम नहीं।
वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चिंता जताते हुए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति संबंधी घोषणाओं से हम सच में चिंतित हैं क्योंकि यह वाकई बड़ा झटका है। विद्यार्थियों और परीक्षाओं से संबंधित समस्याओं पर भी बहुत लापरवाही भरा रवैया सामने आ रहा है। उन्होंने ईआईए ड्राफ्ट को अलोकतांत्रिक बताया।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष एकजुट होकर सही तरीके से आवाज उठाने में विफल है। अलग-अलग मुद्दों पर मंचों पर विरोध जताने से विपक्ष की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। उन्होंने जीएसटी के मुद्दे पर कहा कि केंद्र सरकार दोहरा रवैया अपना रही है। वो अपनी पार्टी के शासित राज्यों को तो आर्थिक मदद कर रही है लेकिन अन्य राज्यों की उसे परवाह तक नहीं है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी बात रखने की शुरुआत सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष के पद पर दोबारा आसीन होने की बधाई देने के साथ की। उन्होंने कहा कि विषय दोनों ही प्रमुख हैं। जहां जीएसटी बकाए से राज्य परेशान हैं, वही परीक्षाओं को लेकर छात्रों में भय का माहौल है। हमें इस पर मजबूत तरीके से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हमें यह जरूर तय करना चाहिए कि हमें डरना है या लड़ना है।
इस दौरान उद्धव ठाकरे ने अमेरिका में स्कूल-कॉलेज खोले जाने पर बनी स्थिति का जिक्र करते हुए कहा, ‘अमेरिका से एक रिपोर्ट आई थी कि जब वहां स्कूल खोले गए थे तो लगभग 97,000 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। अगर ऐसी स्थिति यहां बन गई तब हम क्या करेंगे?’
वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कोरोना से पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए केंद्र से जीएसटी की हिस्सेदारी नहीं मिलने की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों को प्रधानमंत्री से मिलना चाहिए और जीएसटी के बकाये का मुद्दा उठाना चाहिए। जबकि परीक्षा स्थगित करने के मुद्दे पर कैप्टन अमरिंदर ने ममता बनर्जी की राय का समर्थन करते हुए कहा कि हम सबको मिलकर सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना संकट को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंन कहा कि कोरोना के खिलाफ राज्य सरकारें लड़ाई लड़ रही हैं और केंद्र सरकार की तरफ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के अलावा कुछ नहीं हुआ। यही नहीं हमारे सुझावों पर कोई ध्यान भी नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यों को न तो ग्रांट मिला, ना ही कोई सब्सिडी दी। मदद के नाम पर केंद्र की ओर से बस लोन के रूप में बजट जारी कर दिया गया।
अशोक गहलोत ने कहा कि आज राज्यों को आर्थिक मदद की जरूरत है लेकिन केंद्र मदद करने के बजाय राज्यों का जीएसटी भुगतान रोककर बैठा हुआ है। उन्होंने बताया कि राजस्थान का 6990 करोड़ रुपया बकाया है। इसके भुगतान के लिए उनकी तरफ से करीब 30 पत्र प्रधानमंत्री को लिखे गए लेकिन किसी पत्र का जवाब नहीं आया। उन्होंने कहा कि वादे करने वाली इस सरकार ने जीएसटी को लेकर भी कई वादे किए थे लेकिन वो पूरे नहीं हो रहे। वहीं जेईई-नीट एग्जाम पर गहलोत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जाकर रिव्यू पिटीशन लगाना सबसे बेहतर विकल्प है। इसी के जरिए कोई रास्ता निकल सकता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र ने राज्यों को पिछले चार महीने से जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया है। आज स्थिति भयावह हो गई है। वहीं परीक्षा के मसले पर उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलने के अलावा सुप्रीम कोर्ट जाने की बातों का समर्थन किया।
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणस्वामी ने कहा कि हमारी सरकार ने फैसला किया है कि नीट-जेईई एग्जाम खत्म होना चाहिए और 12वीं क्लास के आधार पर मेडिकल कोर्स और इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों की राय से सहमत होते हुए छात्रों हित में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही।