नई दिल्ली: इतिहास गवाह है कि कुशल रणनीतिकारों ने अपनी व्यूह रचना के दम पर मुश्किल चुनौतियों पर भी जीत हासिल की है। मौजूदा दौर में कोविड-19 महामारी के संकट से निपटने के लिए भी कुछ इसी तरह की एकीकृत व्यूह रचना की आवश्यकता है, जिसमें सुरक्षात्मक और आक्रामक उपायों के साथ-साथ बहुआयामी रणनीति का समावेश हो। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने, अपनी 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, तीन इनोवेशन कॉम्प्लेक्सों और पाँच इकाइयों के विस्तृत नेटवर्क के साथ सभी मोर्चों पर कोविड-19 की चुनौती से लड़ रहा है।
अगर सुरक्षात्मक रणनीतियों की बात करें तो एक निश्चित शारीरिक दूरी बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण बचाव माना जा रहा है। लेकिन, सिर्फ इतने भर से 135 करोड़ की आबादी वाले देश में इस गंभीर चुनौती से निपटना आसान नहीं है। यह भी सही है कि सख्ती से लागू की गई लॉकडाउन व्यवस्था बीमारी के प्रसार को धीमा कर सकती है। पर, यह भी इस महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, हमें जो कुछ करने की जरूरत है, उसमें संक्रमित लोगों का परीक्षण, उन्हें अलग-थलग रखने और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना महत्वपूर्ण हो सकता है। कोविड-19 से निपटने के लिए सीएसआईआर ने इन सभी आयामों में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज करायी है।
कोविड-19 से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षण करना एक अहम रणनीति हो सकती है। कोरोना वायरस के खिलाफ छिड़े देशव्यापी अभियान के आरंभिक दौर में ही सीएसआईआर की दो प्रयोगशालाओं में जांच केंद्र खोले गए और उनके प्रशिक्षण के साथ, देशभर में एक दर्जन से अधिक सीएसआईआर प्रयोगशालाएं वायरस के परीक्षण में धीरे-धीरे शामिल हो गईं, और यह संख्या निरंतर बढ़ रही है। सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) ने क्रिस्पर-कैस9 आधारित अनूठी पेपर किट विकसित की है, जो परीक्षण की मौजूदा विधियों की लागत को कम कर सकती है।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने में मास्क, पर्सनल प्रोटेक्टिव सूट, सैनिटाइजर, फेस-शील्ड जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण भी मददगार हो सकते हैं। सीएसआईआर ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ रहे अग्रिम पंक्ति में तैनात डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों तथा पुलिसकर्मियों जैसे योद्धाओं के लिए सुरक्षात्मक सामग्री डिजाइन करके यह संभव कर दिखाया है। इनमें आम जनता के साथ-साथ अस्पताल के कर्मचारियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण शामिल हैं।
इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि भारत जैसे विशाल देश की विस्तृत आबादी के बीच कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी का संकट खड़ा हो तो सिर्फ सुरक्षात्मक उपाय काफी नहीं हो सकते हैं। ऐसे में, आक्रामक रणनीतियां अपनाना भी जरूरी हैं। व्यक्तिगत स्वच्छता वायरस से लड़ने का एक मजबूत अस्त्र हो सकता है। बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोना और विशेष रूप से बाहर जाने पर किसी संभावित दूषित सतह के संपर्क में आने पर सैनिटाइजर का उपयोग आवश्यक है। यह न केवल अस्पताल के कर्मचारियों, बल्कि पुलिस जैसे अग्रिम पंक्ति में तैनात कर्मचारियों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी आवश्यक है।
कई गैर सरकारी संगठनों के कर्मचारी आश्रय-घरों में काम कर रहे हैं और उन्हें भी खुद को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए सैनिटाइजर की आवश्यकता होती है। यही नहीं, आश्रय-गृहों में रह रहे लोगों, आवश्यक सामानों की बिक्री करने वाले विक्रेताओं और अन्य लोगों को भी सैनिटाइजर की आवश्यकता है। विज्ञान को समाज की जरूरत के लिए उपयोग करने का सही अर्थों में उदाहरण पेश करते हुए सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं ने स्वच्छता बनाए रखने और संक्रमण से बचाव के लिए तत्काल सैनिटाइजर बनाना और उसे निशुल्क वितरित करना शुरू कर दिया। जब सैनिटाइजर की उपलब्धता कम हो तो यह पहल निश्चित रूप से महत्वपूर्ण कही जाएगी।
यह बात सही है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है और सीएसआईआर की रक्षात्मक और आक्रामक रणनीति में इसका ध्यान रखा गया है। कहना नहीं होगा कि इसके लिए दूरगामी रणनीतिक उपायों की जरूरत है। इन दीर्घकालीन रणनीतियों में वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए शुरू किया गया सीक्वेंसिंग मिशन एक अहम कड़ी साबित हो सकता है। इसके तहत देशभर में बड़े पैमाने पर वायरल नमूनों की सीक्वेसिंग का लक्ष्य रखा गया है। सीक्वेंसिंग से वायरस के जेनेटिक कोड का खुलासा हो सकता है, जिससे वायरस के वेरिएंट्स, उसके जीवन चक्र और ड्रग बाइंडिंग पैटर्न को समझने में मदद मिल सकती है।
दीर्घकालीन रणनीति की एक महत्वपूर्ण कड़ी परीक्षण को बढ़ाना है, जिससे बीमारी के प्रसार की निगरानी में मदद मिल सकती है। सीएसआईआर की रणनीति में सामुदायिक स्तर पर परीक्षण शामिल है है, जो बीमारी के प्रकोप पर नजर रखने और उसके फैलने पर नजर रखने में मदद कर सकती है। इसमें नई थेरैपियों, वैक्सीन व दवाओं का विकास और रिपर्पजिंग शामिल है। अस्पतालों के सहायक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने, आपूर्ति और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराने के लिए भी देश का यह प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान काम कर रहा है। इस तरह यह कहने में संकोच नहीं होना चाहिए कि देश का यह वैज्ञानिक वटवृक्ष हर मोर्चे पर कोविड-19 को शिकस्त देने के लिए तैयार खड़ा है।